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श्रीमद्भगवद् कथा

श्रीमद्भगवद् कथा

श्रीमद्भगवद् गीता हर दृष्टि से अपने आप में पूर्ण, सक्षम और अनूठी प्रेरणा है. भगवान की दिव्य वाणी से प्रकट होने का सौभाग्य गीता ग्रंथ को ही प्राप्त है

 

मानव जीवन में श्रीमद्भगवद् कथा का बड़ा ही महत्व है। संसार में जो भी इस कथा का श्रवण करता है, उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। भागवत पुराण हिन्दुओं के अट्ठारह पुराणों में से एक है। इसका मुख्य विषय भक्ति योग है, जिसमें श्रीकृष्ण को सभी देवों का देव या स्वयं भगवान के रूप में चित्रित किया गया है। इस पुराण में रस भाव की भक्ति का निरूपण भी किया गया है।

भगवान की विभिन्न कथाओं का सार श्रीमद्भगवद् मोक्ष दायिनी है। कथा की सार्थकता तब ही सिद्ध होती है जब इसे हम अपने जीवन व व्यवहार में धारण कर निरंतर हरि स्मरण करते हैं। कलियुग में भागवत साक्षात श्रीहरि का रूप है। पावन हृदय से इसका स्मरण मात्र करने पर करोड़ों पुण्यों का फल प्राप्त हो जाता है। इस कथा को सुनने के लिए देवी देवता भी तरसते हैं और दुर्लभ मानव प्राणी को ही इस कथा का श्रवण लाभ प्राप्त होता है।यह भगवान कृष्ण की कृपा पाने के लिए 7 दिनों में श्रीमद्भगवद् कथा के 18000 श्लोकों का पाठ है। ऐसा कहा जाता है कि भक्तों को शुद्ध आत्मा और शांतिपूर्ण हृदय के साथ-साथ लंबी उम्र का आशीर्वाद मिलता है।

कहा जाता है कि भक्त भगवान कृष्ण के आशीर्वाद से जीवन के दुखों और विभिन्न प्रकार के बंधनों से छुटकारा पाता है और प्राचीन वैदिक साहित्य के अनुसार मोक्ष प्राप्त करने के लिए इसे भाग्यशाली माना जाता है।

श्रीमद्भगवद् कथा का आयोजन सुखदेव भक्ति संस्थान द्वारा मार्च २०१८ चैत्र नवरात्री के दौरान किया गया | माँ अहिल्या की नगरी इंदौर में भव्य कलश यात्रा के साथ श्रीमद्भगवद् कथा ज्ञान यज्ञ का शुभारंभ किया गया। कलश यात्रा में कई श्रद्धालु शामिल हुए । सुखदेव भक्ति के संस्थापक श्री सुखदेव गेहलोत द्वारा कथा वाचक श्रीवर का  १ क्विंटल पुष्पों से सम्मान किया गया|

आहुति

यज्ञ करते समय हवन या अग्नि यज्ञ करने की प्रथा है। अग्नि को औपचारिक रूप से जलाया जाता है, अग्नि, अग्नि देव को आमंत्रित करने का प्रतीक है। तत्पश्चात जब मंत्रों का जाप किया जाता है, तो मंत्र के अंत में घी या हवन सामग्री (जड़ी-बूटियों और घी का मिश्रण) के रूप में अर्पण किया जाता है।.

पाठ

धार्मिक ग्रंथो एवं मंत्रो का शुद्धता पूर्वक वाचन एवं उच्चारण करने को पाठ कहा जाता है| हिंदू धर्म में पाठ करना एक जरूरी प्रक्रिया मानी गई है। पाठ से जहां व्यक्ति को आत्मीय सुख और शांति प्राप्ति होती है वहीं इससे भगवान का आशीर्वाद भी मिलता है।.

यज्ञ

मत्स्यपुराण में कहा गया है कि जब पांच आवश्यक घटक - देवता, हवन द्रव्य या प्रसाद, वेद मंत्र, दैवीय नियम और ब्राह्मण को उपहार - होते हैं, तो यह एक यज्ञ है। विश्व कल्याण के लिए किया गया कोई भी शुभ कार्य यज्ञ है।.