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सहस्त्र चंडी यज्ञ

सहस्त्र चंडी यज्ञ

माँ दुर्गा को शक्ति की देवी का जाता है| दुर्गा माँ को प्रसन्न करने के लिए जिस यज्ञ विधि को पूर्ण किया जाता है, उससे सहस्त्र चंडी यज्ञ कहा जाता है | सहस्त्र चंडी यज्ञ को सनातन धर्म में बेहद शक्तिशाली वर्णित किया गया है| इस यज्ञ से बिगड़े हुए ग्रहों की स्तिथि को सही किया जा सकता है, और इस विधि को पूर्ण करने के बाद भाग्य आपका साथ देने लगता है|

इस यज्ञ के बाद मनुष्य खुद को एक आनंदित वातावरण में महसूस करता है| वेदों में इसकी महिमा के बारे में यहाँ तक बताया गया है की सहस्त्र चंडी यज्ञ पूर्ण करने के बाद आपके शत्रु भी आपका कुछ नहीं बिगाड़ सकते है| इस यज्ञ को गणेश जी, शिवजी, नव ग्रह, और नव दुर्गा (देवी) को समर्पित करने से मनुष्य का जीवन धन्य होता है|

सुखदेव भक्ति संस्थान प्रत्येक वर्ष चैत्र एवं शारदीय नवरात्रि में सहस्त्र चंडी यज्ञ का आयोजन करती है | प्रत्येक वर्ष सहस्त्र चंडी यज्ञ का आयोजन सुखदेव भक्ति के प्रांगण बिजलपुर धाम में स्थित देवी माँ के मंदिर में विधि विधान से संपन्न होता है |

प्रार्थना करो! और भगवान की सुनो!

हमेशा, हर जगह भगवान मौजूद है।
मैं साधारण चीजों से ही खुद को खुश पाता हूं।.
जीवन अच्छा है क्योंकि ईश्वर महान है।” अनाम”

आहुति

यज्ञ करते समय हवन या अग्नि यज्ञ करने की प्रथा है। अग्नि को औपचारिक रूप से जलाया जाता है, अग्नि, अग्नि देव को आमंत्रित करने का प्रतीक है। तत्पश्चात जब मंत्रों का जाप किया जाता है, तो मंत्र के अंत में घी या हवन सामग्री (जड़ी-बूटियों और घी का मिश्रण) के रूप में अर्पण किया जाता है।.

पाठ

धार्मिक ग्रंथो एवं मंत्रो का शुद्धता पूर्वक वाचन एवं उच्चारण करने को पाठ कहा जाता है| हिंदू धर्म में पाठ करना एक जरूरी प्रक्रिया मानी गई है। पाठ से जहां व्यक्ति को आत्मीय सुख और शांति प्राप्ति होती है वहीं इससे भगवान का आशीर्वाद भी मिलता है।.

यज्ञ

मत्स्यपुराण में कहा गया है कि जब पांच आवश्यक घटक - देवता, हवन द्रव्य या प्रसाद, वेद मंत्र, दैवीय नियम और ब्राह्मण को उपहार - होते हैं, तो यह एक यज्ञ है। विश्व कल्याण के लिए किया गया कोई भी शुभ कार्य यज्ञ है।.