कन्या-भोज
नवरात्रि के दिनों को बहुत ही शुभ और पवित्र माना जाता है| भक्त माता की नौ दिनों व्रत रख कर पूजा आराधना करते हैं|
मान्यता है कि बिना कन्या पूजन के नवरात्रि का पूरा फल नहीं मिलता है। इससे माता रानी प्रसन्न होती हैं और सुख-शांति और समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं। नवरात्रि के नौ दिन मां के नौ रूपों की पूजा होती है और कन्या पूजन के जरिये मां के उन नौ रूपों की एक साथ पूजा की जाती है और उनसे अपने घर-परिवार पर कृपा|
सुखदेव भक्ति संस्थान बीते कई वर्षो से प्रत्येक चैत्र एवं शारदीय नवरात्रि में कन्या भोज का आयोजन विशाल स्तर पर करते आए है |प्रत्येक वर्ष ५१०० से अधिक कन्याएं बिजलपुर धाम में पधारती रही है |
आहुति
यज्ञ करते समय हवन या अग्नि यज्ञ करने की प्रथा है। अग्नि को औपचारिक रूप से जलाया जाता है, अग्नि, अग्नि देव को आमंत्रित करने का प्रतीक है। तत्पश्चात जब मंत्रों का जाप किया जाता है, तो मंत्र के अंत में घी या हवन सामग्री (जड़ी-बूटियों और घी का मिश्रण) के रूप में अर्पण किया जाता है।.
पाठ
धार्मिक ग्रंथो एवं मंत्रो का शुद्धता पूर्वक वाचन एवं उच्चारण करने को पाठ कहा जाता है| हिंदू धर्म में पाठ करना एक जरूरी प्रक्रिया मानी गई है। पाठ से जहां व्यक्ति को आत्मीय सुख और शांति प्राप्ति होती है वहीं इससे भगवान का आशीर्वाद भी मिलता है।.
यज्ञ
मत्स्यपुराण में कहा गया है कि जब पांच आवश्यक घटक - देवता, हवन द्रव्य या प्रसाद, वेद मंत्र, दैवीय नियम और ब्राह्मण को उपहार - होते हैं, तो यह एक यज्ञ है। विश्व कल्याण के लिए किया गया कोई भी शुभ कार्य यज्ञ है।.